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अंधा युग-धर्मवीर भारती: मुख्य अंश

अंधा युग के कुछ मुख्य अंश यहाँ मौजूद है।जिसकी रचना धर्मवीर भारती ने की थी।महाभारतकालीन पात्रों के माध्यम से आधुनिक समय की समस्याओं को उठाया गया है है।

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समलैंगिकता:चाहत से त्याग तक का सफर: पुनित कुमार

दिल और दिमाग के मध्य दिल और दिमाग के बीच ऐसा क्या होता है,जिसके कारण हम ठहर जाते हैं…क्या यह एक संघर्ष है,या फिर इसे प्रतिद्वंदिता की संज्ञा दी

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मैं लिख रहीं हूँ काली स्याही से कि मुझें ज़माना भी कोरा नसीब नहीं हुआ:ममता

“मेरा नाम सआदत हसन मंटो है।औऱ मैं एक ऐसी जगह पैदा हुआ थाजो अब हिंदुस्तान में है।मेरी माँ वहाँ दफ़न हैमेरा पहला बच्चा भीजो अब मेरा वतन नहीं

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कर्ण का व्यक्तित्व आकर्षक है!अनुकरणीय नहीं:अमृताश त्रिपाठी

कर्ण का व्यक्तित्व आकर्षक है!अनुकरणीय नहीं:अमृताश त्रिपाठी। अमृताश ने बेहद ही संजीदे प्रसंग को उठाया है साथ ही एक नये दृष्टिकोण से महाभारत के एक

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रजत सिंह ‘कबीरा’ की कविताएँ

पीढ़ियों के अंतर से लेकर, लाल रंग के ग़ुरूर तक को और कमरे में पसरे अकेलेपन के एहसास से लेकर,बिखरी हुई रूह तक को इन कविताओं में रजत सिंह 'कबीरा' ने

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रिचा खर्कवाल की कविताएँ

अगर आपने किसी भी पल,किसी क्षण प्रेम को महसूस किया है तो रिचा की ये कविताएँ आपको अपनी लगेंगी।उसे ज़ादुई प्रेम पर नहीं वास्तविक प्रेम पर भरोसा है।वह

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