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हिन्दी निबंधों में वर्णित शाक्त-मत परंपरा : एक विवेचना – सुजाता कुमारी

इस शोधालेख में हिंदी निबन्धों में शाक्त-मत परंपरा का वर्णन किया गया है। निबन्धों में दर्शन तत्व की प्रधानता है। इसलिए हजारीप्रसाद द्विवेदी,

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दिनकर के निबंधों में गांधी संदर्भ : एक विवेचना – सुजाता कुमारी

जब किसी राष्ट्र की व्यापक संरचना पर किसी चरित्र का प्रभाव स्थापित होता है तो वह चरित्र भी राष्ट्र-चरित्र के रूप में दृष्टिगत होता है । साहित्य

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हिन्दी निबंधों में वर्णित शिव-चरित्र – सुजाता कुमारी

हिन्दी निबंधों में वर्णित शिव के चरित्र का वर्णन निबंधकारों ने किस रूप में किया है । उसको आधार मान कर ही यह शोध आलेख लिखा गया है ।

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कुबेरनाथ राय के निबन्धों में वर्णित राम – सुजाता कुमारी

कुबेरनाथ राय हिंदी साहित्य के निबंध विधा के एक मज़बूत स्तम्भ के रूप में दिखाई देते हैं । जिन्होंने अपनी लेखन कला से इस विधा को मात्र समृद्ध हीं

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हिंदी ललित निबन्धों में वर्णित कृष्ण-कथा के संदर्भ – सुजाता कुमारी

इस लेख में ललित निबंधों के अर्थ को समझाने के साथ हीं, ललित निबंधों में विद्यमान कृष्ण कथा के संदर्भों की चर्चा की जा रही है । कृष्ण की चर्चा

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‘इक्कीसवीं सदी और जनजातीय समाज’ – गौरव गौतम

गौरव गौतम ने इस लेख में भूमंडलीकरण के बाद अलग-अलग जातियों की बदलती हुई स्थिति का वर्णन किया है। लेकिन वैश्वीकरण के बाद भी जनजातीय समाज की स्थिति

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सम्पूर्णता के प्रतीक श्री कृष्ण : गौरव गौतम

गौरव ने श्री कृष्ण के कई रूपों का वर्णन किया है। कृष्ण के समर्पित रूपों के साथ, अर्जुन के सहयोगी की भूमिका निभाने की भी चर्चा की है। लेख पढ़े जाने

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