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गोदान : प्रेमचंद

होरी (5 बीघे खेत वाला किसान )
भोला (पूरवे का ग्वाला)
रायसाहब अमरपाल सिंह का चरित्र : साहित्य और संगीत के प्रेमी, ड्रामा के शौकीन, अच्छे वक्ता, अच्छे लेखक, अच्छे निशानेबाज ।
शोभा, हीरा (होरी के भाई)
पुन्नी (हीरा की पत्नी)

जब दूसरे के पाँव-तले अपनी गर्दन दबी हुई है, तो उन पाँवों को सहलाने में ही कुशल है ।

होरी की छह संताने हुई थी लेकिन जीवित मात्र तीन ही थे । लड़का गोबर (16 साल का), और दो लड़कियां सोना और रूपा, बारह और आठ साल की । तीन लड़के बचपन में ही मर गए थे ।
होरी की उम्र – 36 साल की ।
मर्द साठे पर पाठे होते हैं – होरी
विपन्नता के इस अथाह सागर में सोहाग ही वह तृण था, जिसे पकड़े हुए वह सागर को पार कर रही थी । (लेखक धनिया के लिए कहता है )
जो मालिक प्रजा को न पाले वह भी कोई आदमी है ?
सेमरी और बेलारी दोनों अवध प्रांत के गाँव है । होरी बेलारी में रहता है, और रायसाहब अमरपाल सिंह सेमरी में ।
सिंह का काम शिकार करना है; अगर वह गरजने और गुर्राने के बदले मीठी बोली बोल सकता है, तो उसे घर बैठे मनमाना शिकार मिल जाता । शिकार की खोज में जंगल में न भटकना पड़ता ।

लक्षण कह रहे हैं कि बहुत जल्द हमारे वर्ग की हस्ती मिट जाने वाली है ।

गोबर – भगवान सबको बराबर बनाते हैं, यहाँ जिसके हाथ में लाठी है, वह गरीबों को कुचलकर बड़ा आदमी बन जाता है ।
होरी – आदमी कितना स्वार्थी हो जाता है । जिसके लिए लड़ो, वही जान का दुश्मन हो जाता है ।

औरत को भगवान सब कुछ दे, रूप न दे, नहीं तो काबू में नहीं रहती । – चौधरी का कथन