लेख हिन्दी निबंधों में वर्णित शिव-चरित्र – सुजाता कुमारी हिन्दी निबंधों में वर्णित शिव के चरित्र का वर्णन निबंधकारों ने किस रूप में किया है । उसको आधार मान कर ही यह शोध आलेख लिखा गया है । और पढ़ें
लेख मनोहर पोथी के वह लेखक जिन्हें लोग बिहार के द्विवेदी के नाम से जानते थे- सुजाता कुमारी यह लेख बिहार के द्विवेदी कहे जाने वाले रामलोचन सरन पर है। जिन्होंने बालक और हिमालय जैसी पत्रिका का प्रकाशन किया था और पढ़ें
आलोचकों/विद्वानों के मत जायसी के संदर्भ में विद्वानों के मत रामचन्द्र शुक्ल (1884-1941) डॉ० बच्चन सिंह (1919-2008) वियोगावस्था में पशुओं, पक्षियों और लता-द्रुमों से अपनी प्रिया के सम्बन्ध में पूछताछ करने और पढ़ें
आलोचकों/विद्वानों के मत तुलसीदास के संदर्भ में विद्वानों के मत रामचंद्र शुक्ल (1884-1941) हजारीप्रसाद द्विवेदी (1907-1979) बच्चन सिंह (1919-2008) डॉ० गणपतिचंद्र गुप्त (1928) डॉ० रामकुमार वर्मा (1905-1990) और पढ़ें
आलोचकों/विद्वानों के मत कबीर के संदर्भ में विद्वानों के मत आचार्य रामचंद्र शुक्ल (1884 – 1941) हजारीप्रसाद द्विवेदी (1907-1979) डॉ० नगेन्द्र (1915-1999) डॉ० बच्चन सिंह (1919-2008) डॉ० गणपतिचंद्र और पढ़ें
NET/JRF हिंदी साहित्य का काल विभाजन एवं नामकरण हिंदी साहित्य का काल विभाजन एवं नामकरण 1. जॉर्ज ग्रियर्सन का काल-विभाजन हिंदी साहित्य के इतिहास को काल विभाजन के रूप में पहली बार जॉर्ज ग्रियर्सन और पढ़ें
Mppsc assistant professor hindi खोई हुई दिशाएं (कहानी) : कमलेश्वर MPPSC सड़क के मोड़ पर लगी रेलिंग के सहारे चंदर खड़ा था। सामने, दाएँ-बाएँ आदमियों का सैलाब था। शाम हो रही थी और कनॉट प्लेस की बत्तियाँ जगमगाने लगी थीं। और पढ़ें
Mppsc assistant professor hindi नशा (कहानी) : प्रेमचंद : MPPSC ईश्वरी एक बड़े जमींदार का लड़का था और मैं एक गरीब क्लर्क का, जिसके पास मेहनत-मजूरी के सिवा और कोई जायदाद न थी। हम दोनों में परस्पर बहसें होती और पढ़ें
RPSC सलाम (कहानी) : ओमप्रकाश वाल्मीकि – (RPSC) शादी की रस्म पूरी होते-होते रात के दो बज गए थे। ज्यादातर बाराती सो चुके थे । गिने-चुने लोग ही दूल्हे के साथ विवाह मंडप में मौजूद थे। कमल उपाध्याय और पढ़ें
RPSC कफन : प्रेमचंद (RPSC) झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना से पछाड़ खा रही और पढ़ें
RPSC पराई प्यास का सफर : आलमशाह खान (RPSC) “छोकरे, पाऽनी !” “लड़के, दो ‘चा’! फुरती से !” “ए, सुन, आलूबड़ा चटनी में, फटाफट !” ’’ए, नमकीन एक पलेट, और पढ़ें
RPSC UPHESC उसने कहा था : चंद्रधर शर्मा गुलेरी (RPSC) बड़े-बडे़ शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की जबान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बम्बू कार्ट और पढ़ें