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मैं लिख रहीं हूँ काली स्याही से कि मुझें ज़माना भी कोरा नसीब नहीं हुआ:ममता

“मेरा नाम सआदत हसन मंटो है।औऱ मैं एक ऐसी जगह पैदा हुआ थाजो अब हिंदुस्तान में है।मेरी माँ वहाँ दफ़न हैमेरा पहला बच्चा भीजो अब मेरा वतन नहीं

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कर्ण का व्यक्तित्व आकर्षक है!अनुकरणीय नहीं:अमृताश त्रिपाठी

कर्ण का व्यक्तित्व आकर्षक है!अनुकरणीय नहीं:अमृताश त्रिपाठी। अमृताश ने बेहद ही संजीदे प्रसंग को उठाया है साथ ही एक नये दृष्टिकोण से महाभारत के एक

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रजत सिंह ‘कबीरा’ की कविताएँ

पीढ़ियों के अंतर से लेकर, लाल रंग के ग़ुरूर तक को और कमरे में पसरे अकेलेपन के एहसास से लेकर,बिखरी हुई रूह तक को इन कविताओं में रजत सिंह 'कबीरा' ने

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रिचा खर्कवाल की कविताएँ

अगर आपने किसी भी पल,किसी क्षण प्रेम को महसूस किया है तो रिचा की ये कविताएँ आपको अपनी लगेंगी।उसे ज़ादुई प्रेम पर नहीं वास्तविक प्रेम पर भरोसा है।वह

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दिपेश कुमार की कविताएँ

ज़मीन से जुड़े रहने वालों की ख़ासियत ही यही है कि वह कभी अपनी मिट्टी को नहीं छोड़ता है। दिपेश शहर में रहकर गाँव को जीने वाले कवि हैं। उनकी कविताओं

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एक साहित्यिक की डायरी:गजानन माधव मुक्तिबोध: मुख्य अंश

◆तीसरा क्षण1.मनुष्य का व्यक्तित्व एक गहरा रहस्य है।2.तथ्य का अनादर करना,छुपाना,उससे परहेज करके दिमागी तलघर में डाल देना न केवल गलत है,वरन उससे कई

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बाणभट्ट की आत्मकथा:हजारीप्रसाद द्विवेदी:मुख्य बिंदु

मेरे जीवन में जो कुछ सार है,वह मेरे पिता का स्नेह है। ऐसा लगता था कि वह पान कम बेचती थी,मुस्कान ज्यादा-(निपुणिका के संदर्भ में) अंगुलियों को मैं

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