कहानी कंचन रॉय की कहानी- पूर्णिमा कंचन ने इस कहानी में मध्यवर्गीय परिवार को चित्रित किया है।जिस परिवार में जब झगड़े होते हैं तो वे एक-दूसरे को सुनते हैं ,बाद में एक भी हो जाते हैं और पढ़ें
NET/JRF अन्य गद्य विधाएँ मुख्य अंश महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘ठकुरी बाबा’ का मुख्य अंश यहाँ महादेवी वर्मा द्वारा रचित ठकुरी बाबा रेखाचित्र के मुख्य अंशों के साथ महादेवी वर्मा द्वारा रचित अन्य रचनाओं का भी उल्लेख किया गया है।और पढ़ें
लेख हरिवंश राय बच्चन की कविता को हृदय में बैठे प्रिय की स्मृति कहने वाली – ममता ममता ने हरिवंशराय बच्चन की कविताओं के सभी पक्ष पर ध्यान देते हुए,उनके जीवन से जुड़ी बातों का भी उल्लेख किया है।साथ ही उनकी रचनाएँ और कविताओं को भी और पढ़ें
NET/JRF हिंदी नाटक मुख्य अंश आधे-अधूरे-नाटक : मोहन राकेश – मुख्य अंश आधे-अधूरे नाम का यह नाटक 1969 में प्रकाशित हुआ।इस नाटक में स्त्री-पुरुष के बीच लगाव तथा तनाव को दर्शाया गया है।यहाँ इस नाटक के मुख्य अंश के साथ और पढ़ें
NET/JRF हिंदी नाटक मुख्य अंश महाभोज (1979) : मन्नु भंडारी – मुख्य अंश यह उपन्यास हिंदी की सुप्रसिद्ध लेखिका मन्नु भंडारी द्वारा रचित है।जिसका प्रकाशन 1979 में हुआ।उपन्यास में उन्होंने अपराध और राजनीति के गठजोड़ का और पढ़ें
NET/JRF हिंदी नाटक मुख्य अंश ध्रुवस्वामिनी-नाटक-जयशंकर प्रसाद : मुख्य अंश ध्रुवस्वामिनी नाटक 1933 में प्रकाशित जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित अंतिम और श्रेष्ठ नाट्य-कृति है।यहाँ इस नाटक का मुख्य अंश के साथ हीं नाटक की और पढ़ें
NET/JRF हिंदी नाटक मुख्य अंश आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह ‘भारतेंदु’ की रचना- भारत दुर्दशा का मुख्य अंश भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा रचित यह नाटक 1875 में प्रकाशित हुआ था।इस नाटक में उन्होंने भारत की तात्कालिक स्थिति को अलग-अलग प्रतीकों के माध्यम से और पढ़ें
NET/JRF हिंदी नाटक मुख्य अंश चन्द्रगुप्त नाटक: जयशंकर प्रसाद- मुख्य अंश जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित यह ऐतिहासिक नाटक 1931 में प्रकाशित हुआ।यहाँ इस नाटक के मुख्य अंशों के साथ पात्र तथा नाटक की कुछ विशेषता मौजूद है।और पढ़ें
युवा रचनाकारों की कविताएँ सदी का सबसे बड़ा शब्द : धारा 144 -पूर्णिमा वत्स की कविता पूर्णिमा वत्स युवा लेखिकाओं में उभरता हुआ नाम है।उन्होंने एक बच्चे के द्वारा शहर में लगी धारा-144 का उल्लेख किया है।यह व्यवस्था की लाचारी हीं है और पढ़ें
लेख कब तक चुप रहेंगे…? सोनिया सिंह इतिहास हमेशा से पुरुषवादी नजरिए से लिखा जाता रहा है,शायद यही वजह है कि इतिहास में स्त्रियों की छवि धुंधली दिखाई पड़ती है।वर्तमान समय में भी और पढ़ें