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मनोहर पोथी के वह लेखक जिन्हें लोग बिहार के द्विवेदी के नाम से जानते थे- सुजाता कुमारी

यह लेख बिहार के द्विवेदी कहे जाने वाले रामलोचन सरन पर है। जिन्होंने बालक और हिमालय जैसी पत्रिका का प्रकाशन किया था

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एक ऐसा निबन्धकार जिसने एक ही धारा अपनाई, और वह धारा उसी की पूरक हो गयी- सुजाता कुमारी

उनका मानना था कि- मैं अपने गाँव की धरती के  हृदय से एक जीवित परम्परा का चयन करने चला हूँ। परंतु अतिशय विनय और अतिशय प्रीति के साथ… अब एक

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हरिवंश राय बच्चन की कविता को हृदय में बैठे प्रिय की स्मृति कहने वाली – ममता

ममता ने हरिवंशराय बच्चन की कविताओं के सभी पक्ष पर ध्यान देते हुए,उनके जीवन से जुड़ी बातों का भी उल्लेख किया है।साथ ही उनकी रचनाएँ और कविताओं को भी

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राष्ट्रवाद और अंतर्राष्ट्रीयवाद परस्पर अनन्य या विरोधी:जितेन्द्र कुमार

जितेन्द्र कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र होने के साथ ही अभी जनसत्ता में कार्यरत हैं।उन्होंने इस लेख में राष्ट्रवाद के साथ अंतर्राष्ट्रीयवाद

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समलैंगिकता:चाहत से त्याग तक का सफर: पुनित कुमार

दिल और दिमाग के मध्य दिल और दिमाग के बीच ऐसा क्या होता है,जिसके कारण हम ठहर जाते हैं…क्या यह एक संघर्ष है,या फिर इसे प्रतिद्वंदिता की संज्ञा दी

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मैं लिख रहीं हूँ काली स्याही से कि मुझें ज़माना भी कोरा नसीब नहीं हुआ:ममता

“मेरा नाम सआदत हसन मंटो है।औऱ मैं एक ऐसी जगह पैदा हुआ थाजो अब हिंदुस्तान में है।मेरी माँ वहाँ दफ़न हैमेरा पहला बच्चा भीजो अब मेरा वतन नहीं

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