हिंदी की विभिन्न विधाओं के मुख्य अंश कबिरा खड़ा बज़ार में – भीष्म साहनी : मुख्य अंश ●भीष्म साहनी (1915-2003)●भीष्म साहनी की प्रकाशित पुस्तकों के नाम : भाग्यरेखा, पहला पाठ, भटकती राख, पटरियाँ, वाङ्चू, शोभायात्रा, निशाचर, पाली, और पढ़ें
हिंदी की विभिन्न विधाओं के मुख्य अंश एक चिथड़ा सुख – निर्मल वर्मा : मुख्य अंश ●वह मार्च की हवा थी। उसमें कोई बोझ नहीं था, जैसा गर्मी के अंधड़ में होता है। वह धूल के साथ नहीं आई थी, स्वयं धूल उसका सहारा लेकर ऊपर उठी थी। और पढ़ें
हिंदी की विभिन्न विधाओं के मुख्य अंश अंधा कुआँ – लक्ष्मीनारायण लाल : मुख्य अंश पात्र ●भगौती●सूका●अलगू●राजी●इंदर●नन्दो●लच्छी●मिनकू काका●हरखू मौसिया●तेजई●मूरत●हीरा●रामदीन●जोखन नाटक का सारांश नाटक में भगौती नाम का व्यक्ति है और पढ़ें
हिंदी की विभिन्न विधाओं के मुख्य अंश कोणार्क : जगदीशचन्द्र माथुर : मुख्य अंश पात्र विशु- उत्कल राज्य का प्रधान शिल्पी और कोणार्क का निर्माताधर्मपद- एक प्रतिभाशाली युवक शिल्पीनरसिंह देव- उत्कल-नरेशराजराज चालुक्य- उत्कल-नरेश और पढ़ें
हिंदी की विभिन्न विधाओं के मुख्य अंश समरेखा-विषमरेखा-(एकांकी) विष्णु प्रभाकर – मुख्य अंश पात्र रेवा : बैरिस्टर की पत्नीकेशव : रेवा का पतिरंजन : रेवा का पूर्व मित्रजमना : बूढ़ी परिचारिकाहरि : सेवकडाकिया और पढ़ें
हिंदी की विभिन्न विधाओं के मुख्य अंश चारुमित्रा (एकांकी ) रामकुमार वर्मा : मुख्य अंश प्रकाशन वर्ष- 1942स्थान : कलिंग का शिविरकाल : ईसा पूर्व 261 पात्र सम्राट अशोक : मगध के सम्राटतिष्यरक्षिता : सम्राट अशोक की रानीउपगुप्त : बौद्ध और पढ़ें
हिंदी की विभिन्न विधाओं के मुख्य अंश सिपाही की माँ- मोहन राकेश- मुख्य अंश पात्र- विशनी, मुन्नी, कुन्ती, दीनू , पहली लड़की, दूसरी लड़की, सिपाही कुछ बातें- मोहन राकेश इस एकांकी में दूसरे विश्वयुद्ध के समय सामान्य लोगों पर और पढ़ें
हिंदी की विभिन्न विधाओं के मुख्य अंश लहरों के राजहंस – मोहन राकेश – मुख्य अंश मोहन राकेश द्वारा रचित नाटक 'लहरों के राजहंस' का यहाँ मुख्य अंश मौजूद है।और पढ़ें
हिंदी की विभिन्न विधाओं के मुख्य अंश एक साहित्यिक की डायरी:गजानन माधव मुक्तिबोध: मुख्य अंश ◆तीसरा क्षण1.मनुष्य का व्यक्तित्व एक गहरा रहस्य है।2.तथ्य का अनादर करना,छुपाना,उससे परहेज करके दिमागी तलघर में डाल देना न केवल गलत है,वरन उससे कई और पढ़ें
हिंदी की विभिन्न विधाओं के मुख्य अंश बाणभट्ट की आत्मकथा:हजारीप्रसाद द्विवेदी:मुख्य बिंदु मेरे जीवन में जो कुछ सार है,वह मेरे पिता का स्नेह है। ऐसा लगता था कि वह पान कम बेचती थी,मुस्कान ज्यादा-(निपुणिका के संदर्भ में) अंगुलियों को मैं और पढ़ें