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सत्यम कुमार झा की कविताएं

भोर का शहर भोर का शहर, आधी नींद में उठता है, आंखें मींचते, जम्हाई लेता, मानो रात का एक हिस्सा चुपके से मिल गया हो सुबह की हवा में, रौशनी बिखरने

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जायसी के संदर्भ में विद्वानों के मत

रामचन्द्र शुक्ल (1884-1941) डॉ० बच्चन सिंह (1919-2008) वियोगावस्था में पशुओं, पक्षियों और लता-द्रुमों से अपनी प्रिया के सम्बन्ध में पूछताछ करने

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हिंदी साहित्य का काल विभाजन एवं नामकरण

हिंदी साहित्य का काल विभाजन एवं नामकरण 1. जॉर्ज ग्रियर्सन का काल-विभाजन हिंदी साहित्य के इतिहास को काल विभाजन के रूप में पहली बार जॉर्ज ग्रियर्सन

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खोई हुई दिशाएं (कहानी) : कमलेश्वर MPPSC

सड़क के मोड़ पर लगी रेलिंग के सहारे चंदर खड़ा था। सामने, दाएँ-बाएँ आदमियों का सैलाब था। शाम हो रही थी और कनॉट प्लेस की बत्तियाँ जगमगाने लगी थीं।

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कफन : प्रेमचंद (RPSC)

झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना से पछाड़ खा रही

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