युवा रचनाकारों की कविताएँ सत्यम कुमार झा की कविताएं भोर का शहर भोर का शहर, आधी नींद में उठता है, आंखें मींचते, जम्हाई लेता, मानो रात का एक हिस्सा चुपके से मिल गया हो सुबह की हवा में, रौशनी बिखरने और पढ़ें
आलोचकों/विद्वानों के मत जायसी के संदर्भ में विद्वानों के मत रामचन्द्र शुक्ल (1884-1941) डॉ० बच्चन सिंह (1919-2008) वियोगावस्था में पशुओं, पक्षियों और लता-द्रुमों से अपनी प्रिया के सम्बन्ध में पूछताछ करने और पढ़ें
आलोचकों/विद्वानों के मत तुलसीदास के संदर्भ में विद्वानों के मत रामचंद्र शुक्ल (1884-1941) हजारीप्रसाद द्विवेदी (1907-1979) बच्चन सिंह (1919-2008) डॉ० गणपतिचंद्र गुप्त (1928) डॉ० रामकुमार वर्मा (1905-1990) और पढ़ें
आलोचकों/विद्वानों के मत कबीर के संदर्भ में विद्वानों के मत आचार्य रामचंद्र शुक्ल (1884 – 1941) हजारीप्रसाद द्विवेदी (1907-1979) डॉ० नगेन्द्र (1915-1999) डॉ० बच्चन सिंह (1919-2008) डॉ० गणपतिचंद्र और पढ़ें
NET/JRF हिंदी साहित्य का काल विभाजन एवं नामकरण हिंदी साहित्य का काल विभाजन एवं नामकरण 1. जॉर्ज ग्रियर्सन का काल-विभाजन हिंदी साहित्य के इतिहास को काल विभाजन के रूप में पहली बार जॉर्ज ग्रियर्सन और पढ़ें
Mppsc assistant professor hindi खोई हुई दिशाएं (कहानी) : कमलेश्वर MPPSC सड़क के मोड़ पर लगी रेलिंग के सहारे चंदर खड़ा था। सामने, दाएँ-बाएँ आदमियों का सैलाब था। शाम हो रही थी और कनॉट प्लेस की बत्तियाँ जगमगाने लगी थीं। और पढ़ें
Mppsc assistant professor hindi नशा (कहानी) : प्रेमचंद : MPPSC ईश्वरी एक बड़े जमींदार का लड़का था और मैं एक गरीब क्लर्क का, जिसके पास मेहनत-मजूरी के सिवा और कोई जायदाद न थी। हम दोनों में परस्पर बहसें होती और पढ़ें
RPSC सलाम (कहानी) : ओमप्रकाश वाल्मीकि – (RPSC) शादी की रस्म पूरी होते-होते रात के दो बज गए थे। ज्यादातर बाराती सो चुके थे । गिने-चुने लोग ही दूल्हे के साथ विवाह मंडप में मौजूद थे। कमल उपाध्याय और पढ़ें
RPSC कफन : प्रेमचंद (RPSC) झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना से पछाड़ खा रही और पढ़ें
RPSC पराई प्यास का सफर : आलमशाह खान (RPSC) “छोकरे, पाऽनी !” “लड़के, दो ‘चा’! फुरती से !” “ए, सुन, आलूबड़ा चटनी में, फटाफट !” ’’ए, नमकीन एक पलेट, और पढ़ें