RPSC सलाम (कहानी) : ओमप्रकाश वाल्मीकि – (RPSC) शादी की रस्म पूरी होते-होते रात के दो बज गए थे। ज्यादातर बाराती सो चुके थे । गिने-चुने लोग ही दूल्हे के साथ विवाह मंडप में मौजूद थे। कमल उपाध्याय और पढ़ें
RPSC कफन : प्रेमचंद (RPSC) झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए हैं और अन्दर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना से पछाड़ खा रही और पढ़ें
RPSC पराई प्यास का सफर : आलमशाह खान (RPSC) “छोकरे, पाऽनी !” “लड़के, दो ‘चा’! फुरती से !” “ए, सुन, आलूबड़ा चटनी में, फटाफट !” ’’ए, नमकीन एक पलेट, और पढ़ें
RPSC UPHESC उसने कहा था : चंद्रधर शर्मा गुलेरी (RPSC) बड़े-बडे़ शहरों के इक्के-गाड़ी वालों की जबान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बम्बू कार्ट और पढ़ें
RPSC गैंग्रीन : अज्ञेय (RPSC) दोपहर में उस सूने आँगन में पैर रखते हुए मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस पर किसी शाप की छाया मँडरा रही हो, उसके वातावरण में कुछ ऐसा अकथ्य, अस्पृश्य, और पढ़ें
RPSC गदल कहानी : रांगेय राघव (RPSC) बाहर शोरगुल मचा. डोडी ने पुकारा,”कौन है?”कोई उत्तर नहीं मिला. आवाज़ आई,”हत्यारिन! तुझे कतल कर दूंगा!”स्त्री का स्वर और पढ़ें
RPSC आपकी छोटी लड़की – ममता कालिया (RPSC) “दुनिया, जरा भागकर चिट्ठी डाल आ।” मैंने गैस पर दूध चढ़ाया है। तू पास खड़ी रह टुन्नो। जब दूध उफनने लगे तब तू गैस बन्द कर देना ।” और पढ़ें
Mppsc assistant professor hindi RPSC पुरस्कार कहानी : जयशंकर प्रसाद (Rpsc, Mppsc) पुरस्कार -जयशंकर प्रसाद आर्द्रा नक्षत्र; आकाश में काले-काले बादलों की घुमड़, जिसमें देव-दुन्दुभी का गम्भीर घोष। प्राची के एक निरभ्र कोने से और पढ़ें