कुबेरनाथ राय के निबन्धों में वर्णित राम – सुजाता कुमारी

कुबेरनाथ राय हिंदी साहित्य के निबंध विधा के एक मज़बूत स्तम्भ के रूप में दिखाई देते हैं । जिन्होंने अपनी लेखन कला से इस विधा को मात्र समृद्ध हीं नहीं किया बल्कि उसमें कई नए प्रयोग भी किये । उन्होंने संस्कृति, सभ्यता, प्रकृति से लेकर देश-विदेश के साहित्य पर लिखा। उन्होंने ऐतिहासिक, दार्शनिक आदि कई दृष्टियों से राम के चरित्र का विश्लेषण किया है । भारतीयता के मूल में उन्होंने राम के ‘चरित्र’ को रखा। राम पर जब उन्होंने निबंध लिखा तब राम विवाद और विचार दोनों के हीं केंद्रबिंदु के रूप में विराजमान थे। राम के चरित्र से वे खूब सम्मोहित थे, यह उनके निबंधों को पढ़ने से पता चलता है। अपनी लालित्यमयी बौद्धिकता से उन्होंने राम पर लिखे गए निबंध को और भी ख़ास बना दिया है। इस लेख में उनके चुनिंदा निबंधों में वर्णित राम का वर्णन है । उनके द्वारा राम को आधार बनाकर लिखे गए निबंध संग्रह हैं- ‘महाकवि की तर्जनी’, ‘त्रेता का वृहत्साम’ और ‘रामायण महातीर्थम’ । कई और संग्रहों में भी राम के विषय में छिट-पुट वर्णन मिलता है। यथा- (गन्धमादन – राघवः करुणो रसः) ।