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सुक्खी गांव में थुनेर का जंगल – रहमत

सुक्खी गांव में थुनेर का जंगल – रहमत

सुक्खी गांव में थुनेर का जंगल

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिला में सबसे बड़ा थुनेर (टैक्सस बकैटा) का जंगल हर्षिल वैली के पहले गांव सुक्खी में स्थित है। गांव में खेतों के मध्य 2.6 हेक्टेयर क्षेत्र में थुनेर के लगभग 700 से ज्यादा पेड़ है। जंगल का घनत्व इतना है कि यहां दिन में भी सूरज की रौशनी जमीन पर नहीं पड़ती है। पूरे जंगल में घनघोर शांति रहती है इसलिए मेडिटेशन के लिए काफी प्रसिद्ध है। दैवीय शक्ति की अनुभूति होती है। एक बार जंगल में घुसने के बाद वापस आने का बिल्कुल भी मन नहीं करता है। इन्हें ग्रामीण न केवल संरक्षित करते हैं, बल्कि गांव की पुश्तैनी धरोहर मानकर पूजते भी हैं। यही वजह है कि संरक्षित प्रजाति में शामिल होने के बावजूद यहां थुनेर का जंगल आज भी गुलजार है।

थुनेर का परिचय

थुनेर नाम से अगर आप अनजान है तो हिन्दी की बिरमी और थुनो नाम सुनकर शायद आपको याद आ जाये। असल में बिरमी के छाल, फल और फूल का प्रयोग आयुर्वेद में औषधि के रूप में बहुत प्रयोग किया जाता है। इसके पौष्टिकता के आधार पर इसका प्रयोग कई प्रकार के बीमारियों के इलाज के लिये किया जाता है। कई आधुनिक प्रयोगों से तथा परीक्षणों के आधार पर इसे कैंसर में अत्यन्त उपयोगी माना गया है। थुनेर गठिया के दर्द, सिरदर्द, बुखार आदि रोगों में कैसे काम करता है।

लेकिन हिमालय की ऊंचाई पर पाया जाना वाला यह पेड़ कैंसर की दवा बनाने में प्रयोग होने के कारण सबसे अधिक संकट में है। उत्तरांचल में इस कारण इसका अवैध व्यापार तेजी से फलने- फूलने लगा है। जड़ी- बूटियों के बाजार में थुनेर के पेड़ की छाल की मांग सबसे अधिक होने के कारण इस वृक्ष की छाल उतारे जाने के कारण अनेक स्थानों पर इसके जंगल के जंगल अब खत्म होने लगे हैं। अंग्रेजी में इंग्लिश यू के नाम से जाना जाने वाला यह पेड़ दुनिया भर में विशेषकर उत्तरी यूरोप से लेकर उत्तरी अफ्रीका तथा एशिया में मिलता है। इसकी ऊंचाई 10 फुट से लेकर अनेक स्थानों पर तीस- चालीस फुट तक मिलती है। उत्तरांचल में यह देवदार तथा राई के जंगलों के बीच पाया जाता है। इसकी बढ़त काफी कम होने के कारण इसके जंगल काफी सीमित स्थानों पर ही मिलते हैं। यह नम तथा ठंडी जलवायु में उगता है।
इसका वैज्ञानिक नाम टैक्सस बकैटा है। इस पेड़ में टैक्सस नामक रसायन पाया जाता है। यह रसायन यूरोपीय देशों में कैंसर की दवा बनाने में प्रयोग होता है। यूरोपीय देशों में मिलने वाले थुनेर वृक्ष में काफी कम मात्रा में यह रसायन मिलता है और वह भी केवल उसके तने के भीतर। लेकिन उत्तराखंड में पायी जानी वाली प्रजाति के टैकसस बकैटा में टैकसस नामक यह रसायन उसके हर अंग में मिलता है। पत्तियो से लेकर उसके तने हर जगह यह पाया जाता है। कैंसर के अलावा इस पेड़ का परंपरागत रूप से भी अनेक बीमारियो के निदान के लिए औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है। यहां के ग्रामीण लोग इसकी छालों को परंपरागत चाय के लिए भी उपयोग में लाते रहे हैं।

थुनेर की लकडी को सामान्यतः हथियार बनाने, विभिन्न उपकरणों के हत्थे बनाने तथा विभिन्न फर्नीचर बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। इसके अलावा इसकी पत्तियों को विभिन्न मानसिक रोगों के उपचार हेतु प्रयोग किया जाता है तथा यूनानी पद्धति की दवा “Zarnab” में भी इसका प्रयोग किया जाता है। थुनेर में वोलोटाइल ऑयल, टेनिक एसिड, गेलिक एसिड तथा टेक्सिन पाये जाते है अनेकों एल्केलाइडस का मिश्रण टेक्सिन इसके जहरीला होने की वजह भी है लेकिन हिमालयन प्रजाति से अभी तक कोई भी जहरीले प्रभाव की पुष्टि नहीं है।

ऊपर ऊपर से देखने पर सुक्खी गांव आपको कम आकर्षित लगेगा लेकिन थोड़ा ठहरकर देखने पर बहुत खुबसूरत लगेगा। इस गांव से उच्च हिमालय के कई बर्फिले शिखर बारहों महीने दिखाई देते हैं। कंडारा बुग्याल, अवाना बुग्याल, भू-बुग्याल, गिडारा बुग्याल, ब्रह्मी ताल, ब्रत्या कुंड, बंदरपूंछ बेस कैंप का ट्रेक इस गांव से होता है। कंडारा बुग्याल में हिमालय के दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी बूटी पाए जाते हैं। साथ ही इस गांव में भोजपत्र के जंगल भी है। यहां पैराग्लाइडिंग, स्कीइंग के लिए परफेक्ट जगह है। कंडारा बुग्याल को केदारकंठा के तर्ज पर डेवलप किया जा सकता है। यहां पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावना है अगर उत्तराखंड ट्यूरिज्म मंत्रालय जाग जाए तो। कश्मीर, शिमला, मनाली, मसूरी, नैनीताल ओवरक्राउडेड हिल स्टेशन का भार थोड़ा इस गांव में भी आ जाए तो यहां के लोगों को पलायन नहीं करना पड़ेगा। यहीं रोजगार मिल जाएगा

सुक्खी गांव और पूरे हर्षिल वैली का मुख्य फसल सेब है। ऊंचाई पर होने की वजह से सुक्खी गांव का सेब पूरे हर्षिल वैली का सबसे अच्छा सेब माना जाता है। यहां राजमा और आलू भी प्रचुर मात्रा में उगाया जाता है। पिछले एक साल से यहां केसर के फसल का सफल परीक्षण किया गया है।

सुक्खी गांव में थुनेर का जंगल || रहमत
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