●बिहार उपोष्ण कटिबंधीय (Sub-tropical) जलवायु क्षेत्र में स्थित है।
●यहाँ कि जलवायु मानसूनी है।
●बिहार में महाद्वीपीय जलवायु (Continental Climate) के लक्षण पाये जाते हैं, किन्तु वर्ष के अधिकांश समय वायु में पर्याप्त नमी होने के कारण इसे संशोधित महाद्वीपीय जलवायु का क्षेत्र भी कहा जा सकता है।
●बिहार की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्नवत हैं।
●भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले सभी कारकों का प्रभाव, बिहार की जलवायु पर भी पड़ता है।
●बिहार, कर्क रेखा के उत्तर में स्थित है। इसके पश्चिमी भाग में अर्द्ध शुष्क (Semi Arid) तथा पूर्वी भाग में आर्द्र (Humid) जलवायु पायी जाती है।
●बिहार की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक-
-बंगाल की खाड़ी से निकटता
-उत्तर में हिमालय की उपस्थिति
-दक्षिण में पठार एवं पहाड़ियाँ
-काल बैशाखी (Norwesters)
-ग्रीष्मकालीन तूफान
-दक्षिण-पश्चिम मानसून की क्रियाशीलता
●बंगाल की खाड़ी के निकट स्थित होने के कारण बिहार का पूर्वी भाग बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवातों से अधिक प्रभावित रहता है।
●यहाँ पर औसत वार्षिक वर्षा लगभग 125 सेमी. होती है।
●बिहार में ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव मार्च से मध्य जून तक रहता है।
●मार्च माह से सूर्य की स्थिति उत्तरायण होने से तापमान में वृद्धि होने लगती है तथा वायु दाब कम होने लगता है।
●मई माह तक राज्य के सभी भागों में भीषण गर्मी पड़ने लगती है, किन्तु जून माह में तापमान तथा आर्द्रता अधिक होने के कारण उमस भरी गर्मी होती है, जिससे मौसम कष्टदायी हो जाता है।
●बिहार का सबसे गर्म स्थान गया (Gaya) है, जिसका तापमान 47° सेल्सियस तक रहता है।
●ग्रीष्म ऋतु में गर्म तथा शुष्क हवाएँ अथवा लू चलने से राज्य के पश्चिमी तथा मैदानी क्षेत्रों का तापमान अधिक बढ़ जाता है।
●यहाँ पर दोपहर के बाद धूल भरी आँधियाँ चलती हैं।
●जिनकी गति लगभग 15 किमी./घण्टा होती है। कभी-कभी स्थानीय पवनों के साथ-साथ आकाश में बादल भी छा जाते हैं, जिससे बूंदा-बाँदी (Drizzling) भी होने लगती है। राज्य में ग्रीष्म काल मुख्यतः शुष्क रहता है।
●इन चक्रवातों का मार्ग उत्तर-पश्चिम होने से इनका प्रभाव बिहार के दक्षिणी एवं पूर्वी क्षेत्रों में सर्वाधिक पड़ता है। जहाँ इनकी गति 30 से 50 किमी./घंटा होती है।
●मई माह में बिहार के मैदानी क्षेत्रों में शुष्क व गर्म पछुआ पवनें चलती है, जिन्हें ‘लू’ कहते हैं।
●जब ये स्थानीय पवनें, समुद्री आर्द्र पवनों के साथ मिल जाती है, तो प्रचंड स्थानीय तूफान उत्पन्न होते हैं। जिनके परिणामस्वरूप वर्षा और ओला वृष्टि होती है।
●बिहार में दक्षिण-पश्चिम मानसून का आगमन सामान्यतः मध्य जून से होता है।
●इस मानसून से राज्य के पूर्वी क्षेत्रों में 8 जून एवं पश्चिमी क्षेत्रों में 15 जून तक वर्षा आरम्भ हो जाती है।
●बिहार में वर्षा सबसे पहले उत्तर-पूर्व, पूर्व एवं तराई क्षेत्रों में होती है, जबकि पठारी क्षेत्रों में वर्षा सबसे बाद में आरम्भ होती है। राज्य में सबसे अधिक वर्षा , जुलाई एवं अगस्त माह में होती है।
●दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन का मुख्य कारण जेट स्ट्रीम का हिमालय के दक्षिणी ढालों से उत्तर की ओर स्थानान्तरित हो जाना है।
●दक्षिण-पश्चिम मानसून का प्रभाव बिहार में मध्य अक्टूबर तक रहता है।
●इसलिए राज्य में मध्य जून से मध्य अक्टूबर का काल वर्षा ऋतु या दक्षिण-पश्चिम मानसून का काल कहा जाता है।
●वर्षा ऋतु में तापमान 40° सेल्सियस से कम हो जाता है, किन्तु आर्द्रता अधिक हो जाती है।
●जून के मध्य तथा जुलाई के प्रथम सप्ताह में सूर्य कर्क रेखा के निकट होता है, जिससे लगभग 10 दिनों तक वर्षा न होने से मौसम सूखा एवं साफ रहता है। परिणामस्वरूप, तापमान में वृद्धि होने लगती है।
●जुलाई में बिहार के मैदानी भाग का औसत तापमान 34° सेल्सियस तक रहता है तथा निम्न वायुदाब के कारण, बंगाल की खाड़ी की ओर से तूफान या चक्रवात आते रहते हैं।
●सितम्बर तथा अक्टूबर में बिहार के मैदानी क्षेत्रों का औसत तापमान 30° सेल्सियस तक रहता है।
●बिहार में प्रायः उत्तर से दक्षिण एवं पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा घटती जाती है।
●बिहार में सबसे अधिक वर्षा उत्तर-पूर्वी एवं तराई क्षेत्र तथा गंगा के उत्तर (पूर्वी बिहार) में लगभग 180 सेमी. तक होती है। मैदानी भागों में 120 से 140 सेमी. एवं पश्चिमी भागों में 100 से 110 सेमी. तक वर्षा होती है।
●बिहार में सबसे अधिक वर्षा (205 सेमी.) किशनगंज जिले में तथा सबसे कम वर्षा औरंगाबाद जिले में (101 सेमी.) होती है।
●बिहार में दक्षिण-पश्चिम मानसून से लगभग 90% तक वर्षा होती है। 15 अक्टूबर के बाद दक्षिण-पश्चिम मानूसन लौटने लगता है, जिसे मानसून का निवर्तन (Retreat of Monsoon) कहते हैं।
●बिहार में शीत ऋतु का समय मध्य अक्टूबर से प्रारंभ होकर फरवरी तक रहता है।
●मध्य अक्टूबर में मानसून के लौटने के बाद भी वायु में आर्द्रता अधिक रहती है। राज्य में सबसे अधिक ठंड, मध्य दिसम्बर से जनवरी तक होती है।
●स्वच्छ आकाश, मन्द पवन, हल्की ठंड तथा धूप शीत ऋतु के प्रारंभिक लक्षण हैं। इस ऋतु में जनवरी माह में मैदानी क्षेत्र का तापमान 7.5° से 10° सेल्सियस के मध्य रहता है।
●बिहार में इस ऋतु में उत्तर के पर्वतीय, तराई तथा दक्षिण के पठारी क्षेत्र में पाला (Frost) पड़ता है, जिसके कारण फसलों को अधिक क्षति पहुँचती है।
●शीत ऋतु में बंगाल की खाड़ी में नवम्बर के अंतिम सप्ताह से फरवरी के मध्य तूफानी मौसमी दशाएँ विकसित होने से 3 या 4 बार पर्याप्त वर्षा होती है।
●परिणामस्वरूप, आकाश में बादल छाये रहते हैं एवं वर्षा के कारण दिन का तापमान कम हो जाता है, जिससे ठंड अधिक बढ़ जाती है। बिहार में शीत ऋतु में 5 से 10 सेमी. तक वर्षा होती है।
●इस ऋतु में औसत तापमान 16° सेल्सियस रहता है, जबकि, जनवरी माह में न्यूनतम तापमान 4 से 10° सेल्सियस तक रहता है।