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बिहार के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल

बिहार के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल

बिहार: दर्शनीय स्थल व उसकी विशेषता

राजगीर


●राजगीर प्राचीन नाम- (राजगृह या गिरिब्रज)
●यह बिहार के नालंदा जिले में स्थित बौद्ध, जैन एवं हिन्दुओं का संयुक्त तीर्थ स्थल है।
●यह सात पहाड़ियों (छठगिरि, रत्नागिरि, शैलगिरि, सोनगिरि, उदयगिरि, वैभरगिरि एवं विपुलगिरि) से घिरा हुआ है।
●प्रत्येक पहाड़ी पर कोई न कोई जैन, बौद्ध अथवा हिन्दू मंदिर स्थित हैं।
●राजगीर में पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र आम्रवन, वेणुवन, मनिआर मठ, सोन भण्डार, मगध राजा जरासंध का अखाड़ा, गर्म जल के कुण्ड हैं।
●राजगीर के चट्टानों में गंधक जैसे तत्व पाये जाते हैं, जो इन कुण्डों को गर्म रखने में सहायक हैं।
●ब्रह्म कुण्ड और मखदूम कुण्ड यहाँ के दो प्रसिद्ध कुण्ड हैं। (Imp)- वेणुवन को बिम्बिसार ने महात्मा बुद्ध को उपहार के रूप में दिया था।

नालंदा


●नालंदा विश्वविद्यालय- भारत ही नहीं, विश्व के प्राचीनतम विश्वविद्यालयों में से एक।
●इसकी स्थापना 450 ई. में गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त ने की थी।
●यह विभिन्न विषयों, दर्शनों एवं बौद्ध शिक्षा का प्रसिद्ध केन्द्र था।
●देश-विदेश से हजारों छात्रों का अध्ययन केंद्र
●प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग इसी विश्वविद्यालय में बौद्ध दर्शन, धर्म और साहित्य का अध्ययन किया था।
●बारहवीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट कर दिया।
●अवशेष अभी भी हैं।
Imp- नालन्दा महाविहार को यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है।
नोट- 2010 के संसद द्वारा पारित अधिनियम के द्वारा ना.वि. की पुनर्स्थापना की गयी है।
●स्थापना में – चीन, इंडोनेशिया, आस्ट्रेलिया, थाईलैंड, लाओस से आर्थिक सहयोग की प्राप्ति।
●1 सितम्बर 2014 से शैक्षिक सत्र की शुरुआत हुई।

गया


●यह एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक शहर है, जो तीन ओर से छोटी-छोटी पहाड़ियों (मंगला-गौरी, शृंगा-स्थान, रामशीला एवं ब्रह्मयोनि) से घिरा हुआ है।
●यह शहर सड़क, रेल एवं वायुमार्ग द्वारा अन्य स्थानों से जुड़ा हुआ है।
●यहाँ एक अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी स्थित है।
●गया के पश्चिमी भाग में फल्गु नदी बहती है।
●दन्तकथाओं के अनुसार यहाँ फल्गु नदी के तट पर भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं, जहाँ विष्णुपद मंदिर स्थित है।
●विष्णुपद मंदिर का निर्माण इन्दौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर के द्वारा कराया गया था। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इसी मंदिर के सामने फल्गु नदी के तट पर प्रतिवर्ष अश्विन मास में पितृ पक्ष मेले का आयोजन किया जाता है।


बोध गया


●यह गया जिले में स्थित बौद्ध धर्म के अनुयायियों का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
●यह गया शहर से 12km की दूरी पर फल्गु (निरंजना) नदी के किनारे स्थित है।
●महाबोधि मंदिर यही है।
●तीसरी शताब्दी ई.पू. में इस मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक ने स्तूप के रूप में करवाया था। बाद में कुषाण शासक कनिष्क ने इसे मंदिर के रूप में बनवाया।
●इस मंदिर में पद्मासन की मुद्रा में महात्मा बुद्ध की एक मूर्ति स्थापित है।

पटना


●गंगा नदी के किनारे बसा नगर है यह।
●प्राचीन काल में पाटलिपुत्र, पुष्पपुर एवं मध्यकाल में अज़ीमाबाद आदि नामों से भी यह जाना जाता था।
●विश्व के सबसे प्राचीन बसे नगरो में से एक है यह।
●महत्वपूर्ण पालिग्रंथ महावंश के अनुसार- पाटलिपुत्र की स्थापना हर्यक वंशीय शासक उदयिन ने लगभग 450 ई.पू. ने किया था।
●चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आए यूनानी दूत मेगस्थनीज ने अपनी पुस्तक इण्डिका में पालिब्रोथा के नाम से पाटलिपुत्र का उल्लेख किया है।
●नंद, मौर्य, शुंग, गुप्त तथा पाल वंश के शासन काल में इस नगर को संपूर्ण भारत में प्रसिद्धि मिली। यही ऐतिहासिक पाटलिपुत्र मध्यकाल में पटना कहा जाने लगा।
●अंतिम सिख गुरु गोविंद सिंह का जन्मस्थान।
●पर्यटक के लिए स्थल- बिहार संग्रहालय, गोलघर, तारामण्डल, संजय गाँधी जैविक उद्यान, बुद्ध स्मृति पार्क, हनुमान मंदिर, बड़ी पटन देवी, छोटी पटन देवी मंदिर, अगम कुआँ, कुम्हरार, किला हाउस, शहीद स्मारक आदि।
●यहाँ स्थित कुम्हरार से मौर्यकाल में निर्मित 80 स्तम्भों वाले एक सभा कक्ष (Assembly Hall) तथा काष्ठनिर्मित मौर्य राजप्रासाद के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
●कुम्हरार के समीप ही एक मौर्यकालीन कुआँ स्थित है, जिसे अगम कुआँ कहा जाता है।
●पटना सिटी में पादरी की हवेली स्थित है, जो रोमन कैथोलिक वास्तुकला का उदाहरण है।
●अशोक राजपथ पर स्थित खुदाबख़्श लाइब्रेरी राजपूत एवं मुगलकालीन स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है।
●पटना के सचिवालय परिसर में शहीद स्मारक स्थित है, जिसमें 1942 ई. के भारत छोड़ो आंदोलन में शहीद हुए 7 क्रांतिकारियों का स्मारक बना हुआ है।
●पटना संग्रहालय की स्थापना 1917 ई. में की गई थी, जो मुगल एवं राजपूत स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है।
●पटना के गाँधी मैदान के समीप गोलघर स्थित है। गोलघर का निर्माण एक विशाल अन्नभण्डार के रूप में वर्ष 1786 में तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स के आदेश पर करवाया गया था। इसका डिजाइन बंगाल सेना के अभियंता कैप्टन जॉन गार्टिन ने तैयार किया था। .

वैशाली


●विश्व का प्रथम गणतंत्र।
●स्थापना लिच्छवी शासक ने की थी।
●भगवान महावीर की जन्म स्थली।
●अशोक स्तम्भ, बौद्ध स्तूप, जैन मंदिर, प्राचीन तालाब, राजा विशाल का गढ़, कमलवन, बावन पोखर मंदिर, हरि कटोरा मंदिर तथा जापान के निप्पोणजी समुदाय द्वारा निर्मित विश्व शांति स्तूप पर्यटकों के आकर्षक के प्रमुख केन्द्र।
●चौमुखी महादेव मंदिर यहाँ है जिसमें प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। इस मंदिर के चारों ओर दरवाजे हैं।

पावापुरी


●यह नालंदा में स्थित है। पावापुरी जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल है।
●यहीं भगवान महावीर को निर्वाण (मोक्ष) की प्राप्ति हुई थी। इसी स्थल पर महावीर का अंतिम संस्कार किया गया था।

बिहारशरीफ


●नालंदा जिले का मुख्यालय बिहारशरीफ में है। यहां स्थित पीर पहाड़ी पर हजरत मलिक और शेख मखदूम शाह शर्फ़दीन की बड़ी दरगाह है।
●इसी के साथ हजरत बदरुद्दीन की छोटी दरगाह, जामा मस्जिद एवं मलिक इब्राहिम बयाँ का मकबरा भी स्थित है।
●यहाँ पर प्रतिवर्ष उर्स (मेला) का आयोजन किया जाता है।

मनेर शरीफ


●यह एक इस्लामिक धर्मस्थल है।
●यहीं महान सूफी संत पीर हजरत मखदूम याहिया मनेरी का जन्म हुआ था।
यहीं पर उनका मकबरा भी स्थित है, जिसे बड़ी दरगाह के नाम से जाना जाता है।
●इनके शिष्यों शाहदौलत और शेख याहिया मनेरी के मकबरे भी यहीं स्थित हैं।
●शाहदौलत का मकबरा छोटी दरगाह के नाम से जाना जाता है।

सीतामढ़ी


●माँ सीता की जन्मस्थली।
●दर्शनीय स्थल- जानकी स्थान मंदिर, उर्बीजा कुण्ड, हलेश्वर स्थान, पंथ पाकड़, बगही मठ आदि।

मुंगेर


●इसका उल्लेख प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक तीनों युगों में हुआ है।
●हिन्दु महाकाव्य महाभारत के दिग्विजय पर्व एवं सभा पर्व में ‘मोदगिरि’ के नाम से तथा बौद्ध ग्रंथो में मौदल के नाम से मुंगेर का उल्लेख मिलता है।
●पाल वंशीय शासक देवपाल के मुंगेर ताम्रपत्र में भी गोदागिरि के नाम से इस स्थान का उल्लेख हुआ है।
●1763 ई. में बंगाल के तत्कालीन तवाब मीर कासिम ने अपनी राजधानी कलकत्ता से मुंगेर स्थानांतरित की थी।
●यहाँ का दर्शनीय स्थल- सीता कुण्ड, गोयनका शिवालय, मीरकासिम सुरंग,मनपतथर (सीता चरण), कष्टहारिणी घाट, चण्डी स्थान, पीर शाह नफह दरगाह आदि।
●यहाँ गुरुकुल प्रणाली पर आधारित योग की शिक्षा प्रदान की जाती है।
●यहाँ पर योग संस्था की स्थापना सर्वप्रथम स्वामी शिवानंद सरस्वती ने ऋषिकेश योगा वेदांता फॉरेस्ट अकादमी के नाम से की थी। .
●1963 ई. में स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने बिहार स्कूल ऑफ योगा की स्थापना की।