●बिहार के बारे में सबसे पहली जानकारी हमें “शतपथ ब्राम्हण” से मिलती है।
●इस ग्रंथ में ऋषि गौतम राहुगण से सम्बंधित विदेह माधव नामक के एक राजा का उल्लेख है, जिन्होंने मिथिला के गौरवशाली साम्राज्य की आधारशिला रखी थी।
●बिहार शब्द जो है वह ‘विहार’ का तद्भव है, जिसका अर्थ होता है- “मठ” अर्थात भिक्षुओं का निवास स्थान।
●राजनीतिक शक्ति के रूप में बिहार का जो उदय हुआ वह सबसे पहले मगध के सम्राट “बिम्बिसार” के शासन काल में हुआ। इस बात की जानकारी हमें वैदिक साहित्य एवं बौद्ध ग्रन्थों से मिलती है।
●ईसा पूर्व चौथी सदी में मौर्य वंश का उदय हुआ। इस मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य थे। इस वंश के सबसे प्रतापी सम्राट “अशोक” हुए।
●ईसवी सन् चौथी पाँचवी शताब्दी में गुप्तवंश के शासनकाल में मगध साम्राज्य की खूब उन्नति हुई।
●इसी के बाद बंगाल के “पाल वंश” के शासकों ने 1197 ईसवी तक यहाँ पर शासन किया।
●12वीं-17वीं शताब्दी तक बिहार में मुस्लिम शासन रहा, जिसका प्रभाव कहीं न कहीं आज तक देखने को मिलता है।
●12वीं शताब्दी के मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इस प्रदेश को बिहार कहना शुरू कर दिया था।
●सूबे के रूप में बिहार को नयी मान्यता शेरशाह सूरी ज समय में मिली। और प्रशासनिक इकाई के रूप में इसका यानी बिहार का स्थान अंग्रेजों के आगमन तक बना रहा।
●1764 ई. की बक्सर की लड़ाई अंग्रेज जीत गए। उसके बाद तो वे 1947 तक भारत में बने रहे।
●1764 ई. में बंगाल के नवाब तो अंग्रेजों से पराजित हो गए। बावजूद इसके बिहार बंगाल का ही एक अंग बना रहा।
●1911 ई. में बिहार और उड़ीसा को संयुक्त रूप से बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग एक पृथक राज्य बनाने की घोषणा की गयी।
●1 अप्रैल 1912 ई. को बंगाल का विभाजन हुआ और उसके बाद ‘बिहार’ के नाम से एक अलग प्रांत का उदय हुआ।
●पहली बार 1936 ई. बिहार को दो राज्यों में विभाजित कर दिया गया। तब जाकर उड़ीसा नाम का एक और नया प्रांत बना। उड़ीसा पहले बिहार की ही एक कमिश्नरी थी।
●आजादी के बाद 1948 ई. में “सरायकेला” और “खरसावां” दो स्थानीय देशी राजा थे जिनके स्टेट को बिहार में शामिल कर लिया गया। और इसे “सिंहभूम” जिले का अंग बना दिया गया।
●लेकिन फिर जब 1956 ई. में राज्यों का पुनर्गठन हुआ तब पुरुलिया एवं किशनगंज के कुछ भागों को काटकर पश्चिम बंगाल में शामिल किया गया।
●15 नवम्बर 2000 ई. को बिहार से झारखंड अलग हो गया।