लोक साहित्य
●नागरी प्रचारिणी सभा-काशी द्वारा “हिंदी साहित्य का वृहत् इतिहास (16 खण्ड)” का नाम ‘हिंदी का लोक साहित्य’ दिया गया।
●‘हिंदी का लोक साहित्य’ का सम्पादन राहुल सांकृत्यायन एवं कृष्णदेव उपाध्याय ने किया।
●हिंदी का लोक साहित्य में कुल 20 लोक भाषाओं को 962 पृष्ठों में स्थान दिया गया है।
●भोजपुरी लोक साहित्य के प्रमुख विद्वान- राहुल सांकृत्यायन, कृष्णदेव उपाध्याय, उदय नारायण तिवारी, जार्ज ग्रियर्सन।
●कृष्णदेव उपाध्याय की रचनाएं लोक साहित्य सम्बन्धी- लोक साहित्य की भूमिका (1984), लोकसंस्कृति की रूपरेखा (1988), भारत में लोक साहित्य(1998)
●कृष्णदेव उपाध्याय द्वारा संपादित गीतों का कुल संग्रह है- पाँच
●भोजपुरी साहित्य का इतिहास के लेखक- कृष्णदेव उपाध्याय (1978)
●अखिल भारतीय लोक संस्कृति सम्मेलन का आयोजन 1958 में किया गया था- प्रयाग(इलाहाबाद)
●’लोक भूषण’ पुरस्कार दिया जाता है- हिंदी संस्थान (उत्तरप्रदेश)
●भोजपुरी साहित्य के इतिहास को भोजपुरी भाषा में लिखा है- अर्जुन तिवारी ने।
●‘ब्रज लोक साहित्य’ के लेखक- सत्येन्द्र
●‘अवधी साहित्य का विकास’ कृति के लेखक- बाबूराम सक्सेना
●‘अवधी साहित्य का इतिहास’ के लेखक- त्रिभुवननाथ शुक्ल