कामायनी के विषय में :-
- कामायनी में प्रसाद ने नरजीवन के विकास में भिन्न-भिन्न भावात्मिका वृत्तियों का योग और संघर्ष बड़ी प्रगल्भ और रमणीय कल्पना द्वारा चित्रित कर मानवता का रसात्मक इतिहास प्रस्तुत किया है।
~●~ रामचंद्र शुक्ल ~●~ - कामायनी की चेतना मूलतः व्यक्तिवादी अध्यात्मवादी चेतना है… कामायनी अपनी सीमाओं के बावजूद हिंदी- साहित्य की एक गौरवमयी उपलब्धि है।
~●~ डॉ नगेंद्र ~●~ - प्रसाद को शिखर कवि के रूप में प्रतिष्ठित करने का श्रेय कामायनी को है। कामायनी एक लंबी छलांग प्रतीत होती है। इसकी काव्यगत श्रेष्ठता और औदात्य पर सभी लोग मुग्ध हैं पर उसके मूल्य निर्णय को लेकर विद्वानों में मतभेद है।
~●~ डॉ बच्चन सिंह ~●~ - कामायनी मानव चेतना के विकास का महाकाव्य है। यह आर्ष ग्रंथ है।
~●~ डॉ नगेंद्र ~●~ - कामायनी आधुनिकता का आभास देकर भी आधुनिक नहीं बन पाती। इन कमियों के बावजूद कामायनी एक अभिनव कृति है। मनुष्य के अंतवृत्तियों के इतने गूढ़ और संश्लिष्ट रचनात्मक चित्र बहुत ही कम मिलेंगे।
~●~ डॉ बच्चन सिंह ~●~ - कामायनी एक फेंटेसी है।
~●~ मुक्तिबोध ~◆~ - कामायनी एक असफल कृति है।
~●~ इंद्रनाथ मदान ~●~ - कामायनी नये युग का प्रतिनिधि काव्य है।
~●~ नंददुलारे बाजपेयी ~●~ - कामायनी छायावाद का उपनिषद् है।
~●~ शांतिप्रिय द्विवेदी ~●~ - कामायनी आधुनिक काव्य है… मूलतः यह कर्म राग का काव्य बन गया है। कामायनी का काव्य वैभव अप्रतिम है।
~●~ डॉ० बच्चन सिंह ~●~
11.कामायनी ताजमहल के समान हैं।
~●~ पंत ~●~
- कामायनी रहस्यवाद का पहला महाकाव्य है।
~●~ निराला (सुधा पत्रिका 1937) ~●~
13.कामायनी एक रूपक है।
~●~ डॉ० नगेंद्र ~●~
- कामायनी में कोई अन्तर्योजन एवं कोई समन्वित प्रभाव नहीं है। कामायनी मानवता का रसात्मक काव्य है। ~●~आचार्य रामचंद्र शुक्ल ~●~
- कामायनी समग्रतः में समासोक्ति का विधान लक्षित करती है।
~●~ डॉक्टर नगेंद्र ~●~ - कामायनी का कवि दूसरी श्रेणी का है।
~●~ हजारी प्रसाद द्विवेदी ~●~ - कामायनी का मूल्यांकन मनोविज्ञान, सौंदर्यशास्त्र एवं समाजशास्त्र इन तीनों धरातलों पर करने वाले आलोचक हैं।
~●~ रमेश कुन्तल मेघ ~●~ - कामायनी के प्रतीक एक हद तक छायावादी आवरण से ढँके हुए हैं किंतु उनमें अपने युग की जीवंत समस्याओं का स्पंदन भी है।
~●~ नामवर सिंह ~●~ - कामायनी आधुनिक सभ्यता का प्रतिनिधि महाकाव्य है।
~●~ नामवर सिंह ~●~ - कामायनी विश्व साहित्य का आठवां काव्य है।
~●~ श्याम नारायण ~●~ - कामायनी दोष रहित दोष सहित रचना है।
~●~ दिनकर ~●~ - कामायनी विराट सामंजस्य की सनातन गाथा है। ~●~विश्वंभर मानव ~●~
- कामायनी मधुरस से सिक्त महाकाव्य है।
~●~ रामरतन भटनागर ~●~ - कामायनी वर्तमान हिंदी कविता में दुर्लभ कृति है। ~●~हजारी प्रसाद द्विवेदी ~●~
- यह आधुनिक हिंदी महाकाव्य का रामचरितमानस है। ~●~ रामनाथ सुमन ~●~
- कामायनी का वैभव अप्रतिम है। ~●~ बच्चन सिंह ~●~