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हरिशंकर परसाई की कहानी भोलाराम का जीव: मुख्य अंश

हरिशंकर परसाई की कहानी भोलाराम का जीव: मुख्य अंश

हरिशंकर परसाई (22 अगस्त192210 अगस्त1995

इन्होंने हिंदी साहित्य में व्यंग्य को एक विधा के रूप में स्थापित करने के बाद उसे हल्के-फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों के साथ उसे जोड़ा।

कहानीसंग्रह: हँसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे, भोलाराम का जीव।

उपन्यास: रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज, ज्वाला और जल।

संस्मरण: तिरछी रेखाएँ।

लेखसंग्रह: 

तब की बात और थी,भूत के पाँव पीछे, बेइमानी की परत,अपनी अपनी बीमारी, प्रेमचन्द के फटे जूते, माटी कहे कुम्हार से, काग भगोड़ा, आवारा भीड़ के खतरे, ऐसा भी सोचा जाता है, वैष्णव की फिसलन, पगडण्डियों का जमाना, शिकायत मुझे भी है, उखड़े खंभे , सदाचार का ताबीज, विकलांग श्रद्धा का दौर, तुलसीदास चंदन घिसैं, हम एक उम्र से वाकिफ हैं,बस की यात्रा

परसाईरचनावली-(सजिल्द तथा पेपरबैक, छह खण्डों में; राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित)

सम्मान-साहित्य अकादमी पुरस्कार – ‘विकलांग श्रद्धा का दौर’ के लिए

शिक्षा सम्मान – मध्य प्रदेश शासन द्वारा

शरद जोशी सम्मान

भोलाराम का जीव -2016 में प्रकाशित

पात्र- 

  • धर्मराज 
  • चित्रगुप्त
  • यमदूत
  • नारद
  • भोलाराम
  • भोलाराम की पत्नी 
  • भोलाराम की बेटी
  • साहब

मुख्य बिंदु-

  • पौराणिक प्रतीकों के माध्यम से सेवानिवृत भोलराम की सेवानिवृति के बाद आने वाली समस्या का अंकन किया गया है।
  • व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग है।
  • परसाई जी ने इस कहानी के माध्यम से स्वर्ग-नर्क,यमराज,चित्रगुप्त की खातावही,यमदूत तथा भोलराम के जीव,नारद,सरकारी बाबू द्वारा वर्तमान लालफ़ीताशाही,अफ़सरशाही आदि पर व्यंग्य किया है।
  • सरकारी दफ़्तर में आमलोगों से किस तरह का बर्ताव होता है उसका वर्णन 
  • स्वर्ग और नर्क की कल्पना की गयी है
  • मकान मालिकों की हृदयहीनता का वर्णन 
  • भ्रष्टाचार का चित्रण 
  • सरकारी कर्मचारियों द्वारा लिए जाने वाले रिश्वत का वर्णन 
  • रिश्वत के लिए लेखक ने ‘वज़न’ शब्द का प्रयोग किया है।
  • इंजीनियर के द्वारा होने वाले भ्रष्टाचार का चित्रण।
  • कहानी में ‘जीव’ का अर्थ ‘भोलराम’ की आत्मा से है।

कहानी के मुख्य अंश

  • दयानिधान, मैं कैसे बतलाऊं कि क्या हो गया. आज तक मैंने धोखा नहीं खाया था, पर भोलाराम का जीव मुझे चकमा दे गया।- यमदूत का कथन
  • मूर्ख ! जीवों को लाते-लाते बूढ़ा हो गया फिर भी एक मामूली बूढ़े आदमी के जीव ने तुझे चकमा दे दिया।-धर्मराज का कथन
  • तुम्हारी भी रिटायर होने की उमर आ गई. भला भोलाराम जैसे नगण्य, दीन आदमी से किसी को क्या लेना-देना? -धर्मराज का कथन
  • भोलाराम नाम था उसका. जबलपुर शहर में धमापुर मुहल्ले में नाले के किनारे एक डेढ़ कमरे टूटे-फूटे मकान में वह परिवार समेत रहता था।-चित्रगुप्त का कथन
  • नारद ने कहा – “माता, भोलाराम को क्या बीमारी थी?”
  • “क्या बताऊँ? गरीबी की बीमारी थी. 
  • दरख्वास्तें ‘पेपरवेट’ से नहीं दबतीं.
  • मुझे नहीं जाना. मैं तो पेंशन की दरख्वास्तों पर अटका हूँ. यहीं मेरा मन लगा है. मैं अपनी दरख्वास्तें छोड़कर नहीं जा सकता-फ़ाइल से भोलराम कहता है 

जामुन का पेड़ (कृष्ण चंदर)

  • क्रममाली, चपरासी,क्‍लर्क, सुपरिन्‍टेंडेंट
  • बेचारा जामुन का पेड़ कितना फलदार था।-पहले क्‍लर्क का कथन 
  • इसकी जामुन कितनी रसीली होती थी।‘’ दूसरे क्लर्क का कथन 
  • मैं फलों के मौसम में झोली भरके ले जाता था। मेरे बच्‍चे इसकी जामुनें कितनी खुशी से खाते थे।- तीसरे क्‍लर्क का कथन 

विभाग-

  • वाणिज्‍य विभाग
  • कृषि विभाग
  • हार्टिकल्‍चर विभाग
  • मेडिकल डिपार्टमेंट
  • संस्‍कृति विभाग
  • वन विभाग 
  • हमने माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन,खाक हो जाएंगे हम, तुमको खबर होने तक।
  • पेड़ को दस साल पहले पिटोनिया के प्रधानमंत्री ने सेक्रेटेरिएट के लॉन में लगाया था।
  • माली ने अचंभे से मुंह में उंगली दबाई। हैरत से बोला- ‘’क्‍या तुम शायर हो।‘’
  • दबे हुए आदमी ने आहिस्‍ते से सर हिला दिया।