उत्तर छायावादी/ व्यक्तिवादी/ हालावादी/ धारा के सम्बन्ध में विद्वानों के कथन :-
वैयक्तिक कविता छायावाद की अनुजा और प्रगतिवाद की अग्रजा है।- नगेन्द्र
व्यक्तिवादी कविता का प्रमुख स्वर निराशा का है, अवसाद का है, थकान का है, टूटन का है, चाहे किसी भी परिप्रेक्ष्य में हो।- रामदरश मिश्र
हालावाद प्रगति प्रयोग का पूर्वाभास है।- बच्चन सिंह
छायावाद का दूसरा उन्मेष उत्तर छायावाद है।- हजारीप्रसाद द्विवेदी
उत्तर छायावाद स्वच्छंद काव्यधारा है।- रामचंद्र शुक्ल
मधुशाला की मादकता अक्षय है। मधुशाला में हाला, लाला, मधुबाला और मधुशाला के चार प्रतीकों के माध्यम से कवि ने अनेक क्रांतिकारी, मर्मस्पर्शी रागात्मक एवं रहस्य पूर्ण भावों को वाणी दी है।- सुमित्रानंदन पंत
बच्चन में दूसरों को रुला सकने की अपूर्व क्षमता है।- मुक्तिबोध
बच्चन के अधिकांश काव्य में उनकी ही आत्मकथा के पन्ने बिखरे हुए मिलेंगे।- पंत
मेरी कविताओं की आधी सदी चुनी हुई कविताओं का संकलन है।- हरिवंशराय बच्चन
जब तक मानव हृदय में रागात्मकता का अवशेष रहेगा तब तक बच्चन की कविता का आकर्षण चिरंतन एवं चिरस्थायी रहेगा।- गणपतिचंद्र गुप्त